शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है, हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है



कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।
शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है, हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है

जिस दिन किताब-ए-इश्क की तक्मील हो गई, 
रख देंगे ज़िन्दगी तेरा... बस्ता उठा के हम।
ज़िन्दगी जिसको तेरा प्यार मिला वो जाने, 
हम तो नाकाम ही रहे चाहने वालों की तरह।
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो, 
कई अपने मेरे बदल गये अब तो, 
करते थे बात आँधियों में साथ देने की 
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
चाहा है तुझको तेरे तगाफुल के बावजूद, 
ऐ ज़िन्दगी तू भी याद करेगी कभी हमें।
जिंदगी आपको हमेशा एक नया मौका देती है,
सरल शब्दों में उसे ” कल ” केहते है.

छोटी सी है है ज़िन्दगी तो तकरार किस लिये,
रहते हो दिल में तो फिर दिवार किस लिए

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